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उत्तराखंड की विरासत अब स्कूली पाठ्यक्रम का हिस्सा

उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और महान विभूतियों को अब स्कूली शिक्षा का अभिन्न अंग बना दिया गया है। कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों के लिए हमारी विरासत एवं विभूतियां नामक पुस्तक को पाठ्यक्रम में पहली बार शामिल किया गया है। शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत की पहल पर यह निर्णय दो वर्ष पूर्व लिया गया था, जो अब अमल में लाया गया है।

पुस्तक में उत्तराखंड के इतिहास, लोकपरंपराओं, पर्वों, आंदोलनों और प्रसिद्ध विभूतियों पर आधारित रोचक व प्रेरणादायक पाठ शामिल हैं। कक्षा 6 में ग्वेल देवता गोल्ज्यू की न्यायप्रियता पर एक पाठ है, वहीं कक्षा 8 में जसवंत सिंह रावत के वीरता की कथा शामिल की गई है।

इसके अलावा पुस्तक में चिपको आंदोलन की नायिका गौरा देवी, वीरांगना तीलू रौतेली, 18वीं गढ़वाल रायफल, उत्तराखंड आंदोलन, पंडित गोविंद बल्लभ पंत, लोकगायिका कबूतरी देवी, हरेला पर्व, गौचर मेला और अन्य महत्वपूर्ण विषयों को भी स्थान दिया गया है। स्कूलों में इसका वितरण प्रारंभ हो चुका है।

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