सरकार चाहे जितने दावे कर ले कि वह बच्चों के पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर गंभीर है, लेकिन जमीनी सच्चाई इससे बिलकुल उलट है। शहर के अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र बदहाल स्थिति में हैं। कुल 131 केंद्रों में से ज्यादातर महज एक कमरे में सिमटे हुए हैं, जहां औसतन 10 बच्चे पढ़ाई से लेकर खेलकूद, भोजन और आराम तक की सारी गतिविधियां किसी तरह ठूंसी जा रही हैं। बुधवार को शहर और गौलापार क्षेत्र के करीब दर्जनभर केंद्रों का दौरा करने पर सामने आया कि बुनियादी मानकों की जमकर अनदेखी हो रही है। न कमरे हवादार हैं, न ही साफ-सफाई का ध्यान है। रसोई की कोई अलग व्यवस्था नहीं — खाना वहीं बनता है जहां बच्चे खेलते हैं। कई जगह वजन मापने की मशीनें खराब मिलीं, और खिलौने पेटियों में बंद पड़े हैं। कुछ केंद्रों में बच्चों को दरी पर बिठाया जा रहा है, तो कहीं टेढ़ी-मेढ़ी कुर्सियां उनकी साथी बनी हैं। अभिभावकों की मांग है कि प्रशासन मौके पर आकर हालात की असलियत खुद देखे।