रामनगर की प्रसिद्ध लीची अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाने जा रही है। इस बार दुबई से आई डिमांड ने काश्तकारों के लिए नई उम्मीदें जगा दी हैं। भारत सरकार के एपीडा (कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) के सहयोग से लीची का निर्यात जून के पहले सप्ताह से शुरू होने की संभावना है। रामनगर में करीब 900 हेक्टेयर में लीची की खेती होती है और यहां का अनुकूल मौसम इसे खास मिठास और आकार देता है।
इस स्वादिष्ट फल की लोकप्रियता देशभर में पहले से है और अब दुबई की कंपनियों ने भी इसमें रुचि दिखाई है। काश्तकारों के मुताबिक, इन कंपनियों के साथ अनुबंध हो चुका है और निर्यात की प्रक्रिया भी तय हो गई है।
फिलहाल बाजार में लीची थोड़ी खट्टी है, लेकिन जून के पहले सप्ताह तक यह पूरी तरह पककर मीठी हो जाएगी। निर्यात दर 150 रुपये प्रति किलोग्राम तय हुई है, जो स्थानीय बाजार भाव 120 रुपये प्रति किलो से बेहतर है। 5 जून को एक्सपोर्टर्स बगीचों में आकर लीची की गुणवत्ता की जांच करेंगे।