नगर की बढ़ती आबादी और पर्यटकों की संख्या के साथ पानी की आपूर्ति की समस्या गहरी होती जा रही है। नैनीझील का जलस्तर चार वर्षों में सबसे निचले स्तर तक गिर चुका है और जलस्रोतों का तेजी से विलुप्त होना चिंता का विषय बन गया है। यदि इस दिशा में जल्द कोई योजना बनाई नहीं जाती, तो भविष्य में गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न हो सकता है। 1951 में नगर की जनसंख्या 12,350 थी, जो अब चार गुना बढ़कर करीब 50 हजार तक पहुंच गई है। पीक सीजन में रोजाना 30 से 40 हजार पर्यटक भी आते हैं। नैनीझील से जल आपूर्ति की जाती है, लेकिन 2015 तक नगर को 24 घंटे पानी मिल रहा था, अब यह घटकर 8-10 एमएलडी तक सीमित हो गया है। इससे झील का पानी रोजाना आधा इंच से लेकर 1.25 इंच तक कम हो जाता है। पर्यावरणविद प्रो. अजय रावत के अनुसार, कई जलस्रोत, जैसे सूखाताल, शेरवुड, स्लिपीहाल, चूना धारा, गौमुख धारा और तुड़तुड़िया धारा सूखने के कगार पर हैं। इन जलस्रोतों के खत्म होने से नगर में जल संकट और गहरा सकता है।