कुमाऊं के सबसे बड़े महाविद्यालय एमबीपीजी में छात्रों को नई शिक्षा नीति के बावजूद पुराने और कम मात्रा में किताबों का सामना करना पड़ रहा है। महाविद्यालय के पुस्तकालय में किताबों की कमी का कारण यह है कि पूर्व के छात्र अपनी किताबें वापस नहीं लौटाते। इससे नए छात्रों को पढ़ाई में कठिनाई हो रही है, और उन्होंने इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। महाविद्यालय में 13,500 से अधिक छात्र-छात्राएं हैं, जिनमें से अधिकांश आर्थिक दृष्टि से कमजोर हैं। करीब छह माह पहले महाविद्यालय प्रशासन ने शासन को नई किताबों के लिए 15 लाख रुपये का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अब तक इस पर स्वीकृति नहीं मिली है। छात्रों का कहना है कि पुस्तकालय में किताबों का अभाव है, और वे महंगे निजी किताबों को खरीदने के लिए मजबूर हैं।
इसके अलावा, महाविद्यालय में फर्नीचर की भी कमी है। छात्र-छात्राओं के बैठने के लिए फर्नीचर का प्रस्ताव भी छह माह से शासन में लंबित है। छात्रों ने इस पर चिंता व्यक्त की है, खासकर जब सरकार 75% उपस्थिति अनिवार्य कर चुकी है। महाविद्यालय प्रशासन ने शासन से जल्दी स्वीकृति की उम्मीद जताई है ताकि व्यवस्थाओं में सुधार किया जा सके।