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उत्तराखंड की मातृभाषाओं को एआई से जोड़ेगा प्रवासियों का अभिनव प्रयास

अमेरिका और कनाडा में रह रहे उत्तराखंड मूल के लोगों ने गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी भाषाओं को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से जोड़ने के लिए एक उल्लेखनीय कदम उठाया है। इसके तहत एक नया भाषा डेटा कलेक्शन पोर्टल लॉन्च किया गया है, जिसका उद्देश्य इन भाषाओं के लगभग 10 लाख शब्द, वाक्य, कहावतें और लोककथाएं एकत्रित करना है। इस पहल से एआई सिस्टम को इन भाषाओं को समझने और उनमें संवाद करने की क्षमता विकसित करने में मदद मिलेगी, जिससे उत्तराखंड की मातृभाषाओं का डिजिटल संरक्षण सुनिश्चित होगा।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पहल की सराहना करते हुए इसे उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को तकनीकी युग से जोड़ने वाला ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मातृभाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए हर संभव सहयोग देने के लिए प्रतिबद्ध है।

इस कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से लोकगायक पद्मश्री प्रीतम भारतवाण, एआई विशेषज्ञ सचिदानंद सेमवाल, अमित कुमार, सोसाइटी के अध्यक्ष बिशन खंडूरी और टोरंटो से मुरारीलाल थपलियाल जुड़े। यह प्रयास उत्तराखंड की भाषाई धरोहर को वैश्विक स्तर पर नई पहचान देने की दिशा में एक प्रेरणादायी शुरुआत है।

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