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देवभूमि से ग्लोबल टूरिज्म हब बनने की सुनहरी यात्रा

पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने पर्यटन के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू ली हैं। कभी केवल चारधाम यात्रा और मसूरी-नैनीताल जैसे हिल स्टेशनों तक सीमित यह राज्य अब एडवेंचर, योग, प्रकृति और वेडिंग टूरिज्म का पसंदीदा ठिकाना बन चुका है। हर साल करोड़ों सैलानी अब यहां की अनछुई वादियों, गांवों और नए पर्यटन स्थलों तक पहुंच रहे हैं।

ऑल वेदर रोड, हेली सेवा और बेहतर कनेक्टिविटी ने सफर को पहले से कहीं अधिक आरामदायक बनाया है। बीते तीन वर्षों में 23 करोड़ से ज्यादा पर्यटकों के आगमन ने राज्य की अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भरी है — जिससे होमस्टे, होटल, ढाबा संचालक, परिवहन व्यवसायी और महिला स्वयं सहायता समूहों को नई आजीविका मिली है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट्स ने केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। केदारपुरी का भव्य पुनर्निर्माण और बदरीनाथ मास्टर प्लान धार्मिक पर्यटन को विश्वस्तरीय रूप दे रहे हैं। वहीं, पर्वतमाला मिशन के तहत केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तक रोपवे निर्माण से यात्रा और भी सुगम होने जा रही है।

राज्य सरकार अब “वेड इन इंडिया” विजन को साकार करते हुए उत्तराखंड को वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में भी स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है। साथ ही, टिहरी झील को अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए 1200 करोड़ रुपये की परियोजना स्वीकृत की गई है।
आज उत्तराखंड सचमुच देवभूमि से आगे बढ़कर वैश्विक पर्यटन का नया सितारा बन चुका है।

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