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तुंगनाथ धाम के कपाट शीतकाल हेतु बंद

उत्तराखंड स्थित प्रख्यात तृतीय केदार तुंगनाथ धाम के कपाट आज विधिविधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में जुटने लगे, जिससे पूरा क्षेत्र धार्मिक उल्लास और भक्ति के भाव से सराबोर हो उठा। इस वर्ष लगभग डेढ़ लाख श्रद्धालुओं ने तुंगनाथ पहुंचकर भगवान शिव के दर्शन किए और आध्यात्मिक शांति का अनुभव प्राप्त किया।

कपाट बंद करने की परंपरागत प्रक्रिया के तहत सुबह 10:30 बजे से मंदिर में विशेष पूजन, भोग, यज्ञ और हवन का आयोजन किया गया। भविष्य केदार-तीर्थ पुरोहित समिति (बीकेटीसी) के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल की उपस्थिति में यह अनुष्ठान शुरू हुआ। निर्धारित विधि-विधान पूरा होने के बाद स्वयंभू शिवलिंग को परंपरा अनुसार समाधि रूप दिया गया। ठीक 11:30 बजे तुंगनाथ मंदिर के द्वार औपचारिक रूप से शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।

कपाटबंदी के उपरांत भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह डोली, भक्तों के जयघोष और गूंजती मंत्रध्वनि के बीच अपने प्रथम पड़ाव चोपता की ओर प्रस्थान कर गई। अब पूरे शीतकाल के दौरान भगवान तुंगनाथ की पूजा-अर्चना मकू गांव के मातृका मंदिर में की जाएगी, जहां श्रद्धालु दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित कर सकेंगे।

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