9 जुलाई 2025 को पृथ्वी के इतिहास में अब तक का सबसे छोटा दिन दर्ज किया गया। यह दिन 24 घंटे की सामान्य घूर्णन अवधि से लगभग 1.31 मिली सेकंड कम रहा। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि 22 जुलाई और 5 अगस्त 2025 को भी पृथ्वी के दिन 1.31 से 1.51 मिली सेकंड तक छोटे हो सकते हैं।
पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमने में सामान्यतः 24 घंटे का समय लेती है, पर यह अवधि कई प्राकृतिक कारकों से प्रभावित होती है, जैसे सूर्य और चंद्रमा की स्थिति, गुरुत्वीय प्रभाव, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र में बदलाव और ग्रह पर द्रव्यमान का असंतुलन।
वर्ष 2020 में वैज्ञानिकों ने पाया कि 1970 के दशक में रिकॉर्डिंग शुरू होने के बाद पहली बार पृथ्वी पहले से तेज़ घूमने लगी थी। 5 जुलाई 2024 को उस समय का सबसे छोटा दिन दर्ज किया गया था, जो 1.66 मिली सेकंड छोटा था।
2025 में चंद्रमा की भूमध्य रेखा से अधिक दूरी के कारण उसका गुरुत्वीय खिंचाव पृथ्वी के घूर्णन को और तेज कर रहा है, जिससे दिन और छोटे हो रहे हैं। नासा के शोध के अनुसार, 2000 से 2018 के बीच जलवायु परिवर्तन, बर्फ पिघलने और भूजल स्तर में बदलाव के कारण दिन की लंबाई में 1.33 मिली सेकंड की वृद्धि हुई थी।
वैज्ञानिक परमाणु घड़ियों की सहायता से मिली सेकंड तक की सटीकता से घूर्णन समय को मापते हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसी IERS ने भी 9 जुलाई को सबसे छोटा दिन होने की पुष्टि की है।
