उत्तराखंड न्यायिक एवं विधिक अकादमी (उजाला) में जल्द ही अधिकारियों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। प्रथम चरण में 40 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाएगा, जिनमें सीओ, एडिशनल एसपी और मनोवैज्ञानिक सहित अन्य अधिकारी शामिल होंगे। इस प्रशिक्षण में पॉक्सो मामलों, जेलों की व्यवस्थाओं तथा कैदियों से जुड़े विभिन्न प्रकरणों पर विस्तार से जानकारी दी जाएगी।
यह मुद्दा उस समय उठा जब उत्तराखंड हाईकोर्ट में ऊधमसिंह नगर की जिला अदालत से पॉक्सो एक्ट में दोषी ठहराए गए पोलियोग्रस्त अभियुक्त की अपील पर सुनवाई हुई। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंदर और न्यायमूर्ति आलोक मेहरा की खंडपीठ के समक्ष आईजी ट्रेनिंग आनंद शंकर ताकवाले व्यक्तिगत रूप से पेश हुए, जबकि उजाला के निदेशक व अन्य अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहे। अदालत को बताया गया कि आगे चलकर करीब 3300 कर्मियों को अलग-अलग चरणों में यह प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा।
कोर्ट ने उजाला निदेशक और आईजी ट्रेनिंग से सुझावों के साथ 22 अगस्त को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने पहले भी टिप्पणी की थी कि रेप मामलों में पीड़ित और आरोपी दोनों को न्याय दिलाने में फोरेंसिक विशेषज्ञ, डॉक्टर और जांच अधिकारियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। मामूली विरोधाभास भी न्याय प्रक्रिया को जटिल बना देता है, जिस पर गंभीर चिंतन जरूरी है। अगली सुनवाई 22 अगस्त को होगी।