• Sat. Dec 14th, 2024

उत्तराखण्ड दर्शन

समस्त उत्तराखण्ड आपके मोबाईल पर

उत्तराखंड में बढ़ती जनसंख्या का बोझ 

देशभर में जनसंख्या बढ़ने की खबरें हम सालों से पढ़ते हुए आ रहें हैं। यह समस्या बेहद गंभीर है लेकिन न ही सरकार और न ही आम जनता इसके निवारण के लिए आगे बढ़ रही है। आज विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर उत्तराखंड के हालातों को देखा जाए तो यह समझ में आता है कि उत्तराखंड में जनसंख्या बढ़ने के कारण यहाँ का सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक ढांचा बिगड़ा हुआ है जो कि काफी गंभीर बात है। 

उत्तराखंड में बढ़ती जनसंख्या के कारण बिगड़ रही है स्थिति 

उत्तराखंड में 84.6 प्रतिशत भूभाग में 48 प्रतिशत लोग रह रहे हैं जो कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके हैं और अब पलायन-पीड़ित क्षेत्र में आते हैं जबकि 14.4 प्रतिशत शहरी भूभाग में 52 प्रतिशत लोग रह रहे हैं। पहाड़ों से लोग रोजगार, स्वास्थ्य सेवाएँ एवं अन्य अच्छी सुविधाओं के लिए शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं जिससे जनसांख्यिकीय असंतुलन की स्थिति पैदा हो रही है। 

पिछले 24 वर्षों से पहाड़ों से शहरों की ओर लोग आते जाते रहे हैं और इसी वजह से शहर भारी आबादी का सामना कर रहे हैं। जहां शहरों में एक सीमित आबादी की जगह है, वहीं बढ़ती आबादी के कारण लोगों की मूल जरूरतें भी पूरी नहीं हो पा रही हैं जैसे कि बिजली-पानी की कमी, नहरों और सड़कों का रखरखाव आदि। 

क्या है इस समस्या का निवारण?

जनसंख्या को रोकने हेतु लोगों को दी जाने वाली जागरुकता एक प्रमुख किरदार निभाती है। इसके साथ ही पहाड़ों से पलायन कम होना बेहद जरूरी है जिसके उपरांत लोग शहरों की तरफ कम बढ़ेंगे। इसके लिए सरकार द्वारा पहाड़ों में रहने वाले लोगों को सुविधाएँ प्रदान करानी होंगी ताकि जनसंख्या के कारण हो रहे सामाजिक असंतुलन को सुधारा जा सके। 

Follow by Email
WhatsApp