गर्मी की दस्तक के साथ ही अस्पतालों में मरीजों की संख्या में तेज़ी से इज़ाफा हो रहा है। मौसम के अचानक बदलते मिजाज के कारण संक्रमणों का खतरा भी बढ़ गया है। सुशीला तिवारी अस्पताल में रोज़ाना 1900 से ज़्यादा मरीज पहुंच रहे हैं, जबकि बेस अस्पताल की ओपीडी में रोज़ 1100 से अधिक लोग इलाज के लिए आ रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि सुबह-शाम ठंड और दोपहर की चिलचिलाती गर्मी में खास सावधानी बरतना ज़रूरी हो गया है। बच्चों में खांसी, बुखार और टायफायड जैसे लक्षण तेजी से उभर रहे हैं। सूखी खांसी, डायरिया और गले की खराश के मामले भी बढ़े हैं। विशेषज्ञ पर्याप्त पानी पीने, संतुलित भोजन लेने और दूषित खाद्य पदार्थों से परहेज की सलाह दे रहे हैं। मास्क का उपयोग, खासतौर पर अस्पताल या धूल भरी जगहों पर, अत्यंत आवश्यक हो गया है।