उत्तराखंड की धामी सरकार ने राज्य में मदरसा शिक्षा व्यवस्था को पुनर्गठित करने की दिशा में अहम निर्णय लिया है। इसके तहत “उत्तराखंड राज्य अल्पसंख्यक शिक्षा प्राधिकरण” (USAME) की स्थापना का प्रस्ताव कैबिनेट से पारित किया गया है। माना जा रहा है कि इस पहल के बाद मदरसा बोर्ड की मौजूदा व्यवस्था समाप्त हो जाएगी और अल्पसंख्यक शिक्षा सीधे राज्य की मुख्यधारा से जुड़ जाएगी।
राज्य में फिलहाल 452 पंजीकृत मदरसे हैं, जबकि सैकड़ों बिना अनुमति संचालित हो रहे थे। हाल ही में 237 गैरकानूनी मदरसों को बंद किया गया है। साथ ही, छात्रवृत्ति और मिड-डे मील योजनाओं में भी गड़बड़ियों के कई मामले सामने आए थे। इसी पृष्ठभूमि में यह नया कानून लाने की तैयारी की गई है।
विधेयक की मुख्य बातें
नए विधेयक के तहत गठित होने वाले USAME में एक अध्यक्ष और 11 सदस्य होंगे। अध्यक्ष अल्पसंख्यक समुदाय से होगा और उसके पास कम से कम 15 साल का शैक्षणिक अनुभव होना आवश्यक है। प्राधिकरण अल्पसंख्यक संस्थानों को मान्यता देगा और उनकी शैक्षणिक गुणवत्ता पर निगरानी रखेगा।
1 जुलाई 2026 से मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2016 और अरबी-फारसी मदरसा मान्यता विनियमावली, 2019 समाप्त हो जाएंगे। इसके बाद सभी मदरसों और अल्पसंख्यक संस्थानों को नई मान्यता लेनी होगी। शर्तों के अनुसार, संस्थान किसी अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा स्थापित और संचालित होना चाहिए तथा गैर-अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या 15% से अधिक नहीं हो सकती।
प्राधिकरण धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अल्पसंख्यक बच्चों को मूलभूत शिक्षा दिलाने के लिए पाठ्यक्रम तैयार करेगा और परीक्षाओं की व्यवस्था करेगा। पहली बार सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, मुस्लिम और पारसी समुदायों के सभी शैक्षणिक संस्थानों को समान मान्यता देने की व्यवस्था की गई है।
यह कदम न केवल पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा, बल्कि अल्पसंख्यक छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा से जोड़ने का भी मार्ग प्रशस्त करेगा।