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वन अनुसंधान संस्थान की नई पहल: सुरक्षा और तकनीक का संगम

वन अनुसंधान संस्थान (FRI) ने जंगल की आग से जूझते वन कर्मियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नया अग्निरोधी सूट और हल्के उपकरण तैयार किए हैं। ये उपकरण ऊँचे तापमान में भी खराब नहीं होते और आग बुझाने की प्रक्रिया को अधिक सुरक्षित बनाते हैं। हर साल उत्तराखंड समेत देश के अन्य हिस्सों में लगी भीषण आग जैव विविधता को नुकसान पहुँचाने के साथ-साथ वन कर्मियों के जीवन को भी खतरे में डालती है। पिछले वर्ष बिनसर अभयारण्य में आग के दौरान कई वन रक्षकों की मृत्यु इस समस्या की गंभीरता को दर्शाती है।

संस्थान ने 2020 में “फॉरेस्ट फायर रिसर्च एंड नॉलेज मैनेजमेंट प्रोजेक्ट” की शुरुआत की थी। इस परियोजना में आग प्रभावित इलाकों की पहचान, उसके कारणों का अध्ययन और मिट्टी पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन किया गया। साथ ही, आग से निपटने वाले उपकरणों को अधिक टिकाऊ और उपयोगी बनाने पर भी कार्य हुआ।

इस पहल में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की इकाई “सेंटर फॉर फायर, एक्सप्लोसिव एंड एनवायरनमेंट सेफ्टी” (CFEES) ने सहयोग किया। उनकी मदद से अग्निरोधी सूट, बूट, हेलमेट, मोजे और दस्ताने बनाए गए। वर्ष 2024 में नैनीताल वन प्रभाग में इनका फील्ड ट्रायल किया गया और वनकर्मियों के सुझावों के आधार पर सुधार किए गए।

वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी डॉ. अमित कुमार वर्मा का कहना है कि यह सूट हीट इंजरी से बचाव करता है और विशेष जूते उच्च तापमान सहने की क्षमता रखते हैं। यह पहल भविष्य में वन कर्मियों की सुरक्षा को और मजबूत बनाएगी।

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