कॉर्बेट टाइगर रिजर्व (CTR) की ढेला रेंज में स्थित रेस्क्यू सेंटर अब वन्यजीवों के लिए सुरक्षित आश्रय के साथ-साथ ‘हाई-प्रोटीन डाइट जोन’ भी बन चुका है। यहां रह रहे बाघों और तेंदुओं की मासिक खुराक पर लगभग सात लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। सालाना आंकड़ा देखें तो मांस पर 70 से 80 लाख रुपये तक की राशि खर्च की जा रही है। वर्ष 2020 में रामनगर में इस रेस्क्यू सेंटर की स्थापना हुई थी, जिसमें 10 बाघ और 10 तेंदुओं के लिए बाड़े बनाए गए थे। लेकिन फिलहाल यहां 11 बाघ और 13 तेंदुए रखे गए हैं, जिनमें से कुछ एक ही बाड़े में साथ रह रहे हैं।
राज्यभर से घायल या हमलावर वन्यजीवों को यहां बेहतर इलाज के लिए लाया जाता है। जो जानवर जंगल में दोबारा नहीं लौट सकते, उन्हें स्थायी रूप से यहीं रखा जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, इन जानवरों को उनके वजन के अनुसार 6–8% मांस प्रतिदिन दिया जाता है और हफ्ते में एक दिन फास्टिंग करवाई जाती है।
गौरतलब है कि हल्द्वानी में घायल मिले एक बाघ को स्वस्थ होने के बाद 2024 में देहरादून चिड़ियाघर भेजा गया, जहां वह अब लोगों का आकर्षण बना हुआ है।