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हल्द्वानी: बनभूलपुरा से लगी रेलवे जमीन पर बसे 4365 परिवारों को घर उजड़ने से पहले नए घर मिलने की लगी है आस 

हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में रेलवे जमीन पर अतिक्रमण के मामले में, सुप्रीम कोर्ट से पुनर्वास की योजना बनाने से संबंधी आदेशों की सूचना मिलते ही बनभूलपुरा के लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इस आदेश के मिलने के बाद लोगों को उम्मीद है कि उन्हें पक्के मकानों से हटाने से पहले सरकार सभी का पुनर्वास करवाएगी। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वालों से लेकर आम लोगों ने भी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को जनहित में बताया है। 

लोगों का कहना है कि रेलवे और प्रशासन ने उनकी बात नहीं सुनी पर सुप्रीम कोर्ट से उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद थी और बुधवार को कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत दी है। उन्होंने कहा कि हम सभी विकास विरोधी नहीं हैं, लेकिन हम चाहते थे कि रेलवे पहले अपनी जमीन की पहचान करके जमीन को चिह्नित करे ताकि जो भूमि रेलवे की नहीं है, उन जमीन पर रहने वाले लोगों की परेशानी कम हो सके। रेलवे को प्रभावित लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था स्पष्ट करनी चाहिए थी, पर सुप्रीम कोर्ट ने इस दिशा में काम करके सभी को राहत दी है।

वहीं रेलवे प्रशासन को हल्द्वानी में जमीन की जरूरत है, क्योंकि जमीन की कमी के कारण रेलवे की योजनाएं साकार नहीं हो पा रहा है। रेलवे न केवल हल्द्वानी से वंदे भारत ट्रेन चलना चाहता है, बल्कि लालकुआं से चलने वाली अधिकतर पैसेंजर ट्रेनों को भी हल्द्वानी से संचालित करने का प्रयास कर रहा है। रेलवे की भविष्य में गौलापार को ग्रेटर गौलापार के रूप में विकसित करने की योजना है। इसके अलावा रेलवे विभाग हल्द्वानी स्टेशन को  विस्तार कर इसे  पूरे उत्तराखंड का सबसे  सुंदर और सुविधाजनक स्टेशन बनाना चाहता है।

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